तिव्र पुरुषार्थ बि.के भ्राता ज्ञान सुर्य भाई जी


हमारा दृष्टिकोण दूसरो के व्यवहार के लिए जिम्मेदार होता हैं। आज मनुष्य ने जितना दृष्टिकोण बिगाड़ लिया हैं उतना पहले कभी नहीं बिगाड़ा था।

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