तीव्र पुरुषार्थ 09-06-2016


हमे काम को जीतने का जज्बा अंदर में होना चाहिए। कामवासनां चाहे कितनी भी प्रबल हो लेकिन हमारे साथ ईश्वरीय शक्ति हैं। हमे उस शक्ति के बल से इस माया को हराना ही हैं। 

“मुझें पवित्र बनना हैं… इस काम महावेरी ने मेरा सबकुछ छिन लिया हैं…मेरा राज्य-भाग्य नष्ट कर दिया हैं…वासनांओ से जुडी़ हुई जो चीज़े हैं उनका हमे पूरी तरह त्याग कर देना हैं. चाहे खान-पान, चाहे गंदी चीज़े देखना, पिक्चर्स देखना, गंदे चित्र देखना, उसके बारे में चिंतन करना, उसको एंजोय करना… कोई सोचे हम कर्म थोड़ा ही करते हैं, हम तो केवल संकल्पो में एंजोय करते हैं… यह भी कामवासना से हार हैं..! 

संसार में अनैतिकता का भयानक दौर चल रहा हैं। मानव ने मानवता खो दी हैं। कोई कुछ भी करने पर उतारू हैं। अनेक जगह ऐसे केस आप सुनते ही होंगे, जिसमे मनुष्य अपनी वासनाओ के अधिन होकर अपने बच्चो से भी गलत कार्य कर लेते हैं। तो हमे इस वातावरण को योगबल से समाप्त करना हैं।

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